ॐ गीतो का अपहरण ॐ

in #hive-1976858 months ago

आज बहुत दिनों बाद ॐ को देखा तोह देखता रह गया (नहीं, गाना नहीं गए रहा हूँ)।
याद है वो बचपन के दिन? वो काजग की कस्ती? वो बारिश का पानी (नहीं, अभी भी गाना नहीं गा रहा हूँ)?

और कितना झूट बोलूंगा, हाँ गाने के बोल ही है ये तोह, किन्तु एक किस्सा याद आ गया बचपन का। बचपन-जवानी कुछ भी लगा लो, वैसे तोह आज भी दिल बचा है जी (ये फिर से गाना कैसे याद आ गया)। इन गांव ने दिमाग के हर कोने मैं ऐसे घरोंदे बनाए है की कोई जगह बाकी है ही नहीं। कुछ भी लिखने जाओ, या सोचे जाओ तोह ये गाने एक खड़ूस मकान-मालिक की तरह किराया मांगने आ जाते है, और किराया इनका अजीब ही होता है, सारी बातो पर कब्ज़ा करना इनका किराया है।

तोह कहाँ था मैं? हाँ! मैं ॐ पर था, तो चलो वहीँ पर वापिस चलता हूँ।

विकिपीडिया पर तोह कुछ ऐसे व्याख्या की गयी है ॐ की :-

ओ३म् (ॐ) या ओंकार परमात्मा, ईश्वर, उस एक के मुख से निकलने वाला पहला शब्द है जिसने इस संसार की रचना में प्राण डाले। ॐ, ओम की तीन मात्राएं है। अकार, उकार, और मकार जो प्रकृति के तीन गुणों को बताती है।

परन्तु मेरा सामना ॐ से थोड़ा हैट कर हुआ। बात है काफी पुरानी, इस सदी के शुरू की ही होगी, हमने नया-नया लिखना सीखा था, या यूं कहें की सीख ही रहे थे। एक दिन एक बालक ने अपना राग शुरू किया, वो अपने घर से इस विचित्र चिन्ह को सिख कर आया था। उसने बहुत कुछ बताया था इसके बारे मैं, कैसे ये हम सब के दुखो को हर लेगा, हम जो अंग्रेजी का 'o' नहीं बना पा रहे जो, उनके लिए कैसे ये सब कुछ सीखा देगा। बेहेरल ऐसा कुछ तोह नहीं हुआ लेकिन इस चिन्ह से एक नाता जुड़ गय। फिर मैं इसको दुसरे के पहले पन्ने पर देखता, फिर आखिरी पर, कभी परीक्षा के दौरान, कभी ऐसे ही बेंचो पर लिखा। एक समय तोह लगा की क्या यही सब प्रश्नो का उत्तर तोह नहीं और मुझे ही किसी ने बताया नहीं? बहराल जब बालक बुद्धि विकसित हुई तब जाकर इसके बारे मैं पता चला , लेकिन तब तक तोह बुद्धि का बंटाधार हो ही चूका था और हिंदी गानो ने दिमागी कमरे बनाने की नीव रख दी थी।

वैसे मैं ये सब क्यों बता रहा हु?

याद नहीं, याद नहीं, याद नहीं क्या-क्या बताना था, सारे मंज़र भूल गए (ये तोह बिल्कुल भी गाना नहीं है )

अब गाने याद ही आ रहे है तोह कुछ पंक्तियाँ भी याद आ गयी, लिखने वाले ने क्या लिखा है:

"कूचे को तेरे छोड़ कर
जोगी ही बन जाए मगर
जंगल तेरे, पर्वत तेरे,
बस्ती तेरी, सेहरा तेरा"


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अब मुझे भी नहीं पता की मैं कहाँ जा रहा हूँ इस लेख मैं तोह मैं, और इससे पहले आप मुझे पागल घोषित कर दे, मैं बस ये बताना चाहता था की मैं हिंदी मैं लिखना का ज्यादा प्रयास कर रहा हूँ। मेरी लिखित हिंदी मेरी लिखित अंग्रेजी से भी ख़राब है, जो की शर्म की बात है और मैं इससे सुधारने का प्रयास कर रहा हु। यही प्रयास मैं ये लेख भी लिख डाला और इसमें त्रुटियां भी बहुत सी होगी, लेकिन इससे मैं आगे जाकर काफी सुधर करूंगा और कभी पीछे मुड़ कर देखूंगा तोह पता चल जाएगा की कितना सुधर आया है मेरे लेखन में।

अंत तक पढ़ने का धन्यवाद।

मुझे उम्मीद है की आप "अभी ना जाओ छोड़ कर, कि दिल अभी भरा नहीं" गा रहे होंगे।


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नमस्ते।

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दाजू पुराने गाने की तो बात ही कुछ और होती है उनके हर एक शब्द के पीछे कुछ ना कुछ बात होती हैं।।

💯

Sahe hai bhai, badiya. Purane gaano ke baat he nirale hai. Sahe kaha apne Hindi likhne nahi aate hai aache se or yaha sarma ke baat hai. Aap aacha kre ho umeed hai ek din mulakaat bhe hoge . 😉🙈✌️🙏

umeed hai ek din mulakaat bhe hoge

Jad mil ke baithange toh galla bhot karniya ne (not a Punjabi song for sure 😁)

He hee bilkul bhai kyu nhai. Hum intjaar hum intjaar krenge . 😉 Kya ye bhe ek gana hai 😬

😆🙏

❤️🙏

प्रवेशभाई ,सही कहा आपने ,पुराने गाने बहुत अर्थपूर्ण होते थे और गुनगुनाने में बड़ा आनंद आता था। भाई वाह , आपने ग़जल लाज़वाब सुनाई है ,कल चौदवीं की रात .... । धन्यवाद ।

🙏💙

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