Where there is no struggle, its end is struggle, it means to say that today if you do not struggle for your place, dream and needs, then your last time will be full of struggle.
The more you work hard to win in young age, the more happy your future will be.
Many people make the same mistake, they spend 30-35 years of age in fun like this. After this age, when you start doing something, then the whole life goes to be successful. And there is always a regret in the mind that I wish I would have started this thing earlier.
Our society is also responsible for this because the boys/girls do not put any responsibility on them until they reach the age of 30-35, because of which they become lazy. Because of which the parents also have to suffer. Children are so pampered that they don't even think of doing anything. If these children get married, then do they spend their whole life working hard. I would like to say that when the children turn 20 years of age, responsibility should be put on them so that they will be able to become something by standing on their own feet, which they may not get to see on such days.
That's why young age is the best time to work hard, today whatever you earn by working hard, tomorrow you will be able to sit at home and have fun by eating and drinking.
That's why it is said that if you do tomorrow, do it today, and if you do today, do it now.
This is the time my friend, it has not stopped for anyone, nor will it stop. Do the work of time on time, otherwise the whole life goes in search of time.
Thanks for reading till the end 😌🙏
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**हिंदी अनुवाद**
जहाॅं संघर्ष नही उसका अंत संघर्ष है, मतलब कहना ये है कि आज आप अगर अपना स्थान, सपना और जरुरतो के लिए संघर्ष नही करोगे तो आपका अंतिम समय संघर्ष से भरा रहेगा.
आप युवा अवस्था मे जीतनी ज्यादा मेहनत करोगे उतना आपका भविष्यकाल सुखद होगा.
बहुत से लोग यही गलती करते है उम्र के 30-35 साल ऐसे ही मौज मस्ती मे लूटा देते है। इस उम्र के बाद जब कुछ करणे लगते है तो पुरी उम्र चली जाती है सफल होने मे, और हमेशा एक पश्तावा जहन मे होता है कि काश! इस चिज कि शुरुवात मै पहीले ही कर देता।
इस बात के लिए हमारा समाज भि जिम्मेदार है क्योंकि लडका/लडकी जब तक 30-35 कि उम्र कि न हो जाते तब तक कोई जिम्मेदारी उन पर डालते नही इस वजह से वो आलसी बन जाते है. जिसका खामयाजा माॅं-बाप को भी भुगतना पडता है। बच्चों को इतने लाड में रखते हैं कि वो कुछ करने कि सोचता भी नही। अगर इन बच्चों कि शादी हो जाती हैं तो फ़िर क्या पुरी जिंदगी मेहनत करते निकल जाती हैं। मेरा तो यें कहना हैं कि बच्चे जब 20 कि उम्र कें हो जाते हैं तभी से उन पर जिम्मेदारी डाल देनी चाहिये जिसे वों खुद कें पैर पर खडा होकर कुछ बन पायेगा जिसे उसे ऐसे दिन देखने ना मिले।
इसलिये युवा अवस्था सबसे अछा समय हैं मेहनत करने का, आज मेहनत करके जितना कमाई कर लोगे उनी पैसो से कल घर बैठ कर खा-पीकर मौज मस्ती कर पावोगे।
इसलिए कहा जाता है कि कल करे सो आज कर, और आज करे सो अभी.
ये वक्त है मेरे दोस्त ना किसीके लिए रुका है नाही रुकेगा. वक्त का काम वक्त पे कीया करो नहीं तो पूरी जिंदगी चली जाती है वक्त की तलाश मे.
अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद 😌🙏
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**Thanks & Regards**
**@anandjadhao**