I have been a very naughty child since childhood, but now I have become a very good child. If you count my mischiefs, your fingers will fall short. My mischiefs have become my best memory, remembering which I feel very happy even today.
I have created this silhouette in adobe photoshop fromobe photoshop from source of this image
Scaring people by catching snakes, frogs, lizards, cockroaches, chameleons, swimming across a deep and very big dam by tying a small piece of thermocol in underwear at the age of 7, stealing my grandfather's cigarette and smoking it, Taking food from the kitchen at home to the forest and cooking and eating it there, visiting Vaishno Devi temple alone at the age of 13. Other mischiefs have been done but cannot be told here because they were very dangerous. I have brought one funny memory among many...let's remember it;
"Only one year had passed since I got admission in Delhi and I started finding this school very bad. The reason was clear that I was not interested in studies because the teacher used to teach less and beat us more. One day, a boy in our class was slapped by the drawing teacher because he had drawn a mango instead of an apple in his homework.
When he was slapped, we enjoyed it a lot and the whole class laughed a lot, but after the teacher left, Satish started crying badly because the fingers of the heavy built teacher had touched his cheeks. We forgot this till the last period and went to our respective homes.
The next day Satish did not come, we thought that he did not come due to insult. When the lunch bell rang, we started eating the lunch boxes brought from our respective homes, when at the gate we saw a woman shouting loudly and abusing, who was holding Satish's hand. Now we understood that Satish's mother has arrived and some action is about to begin, at that time Brock Lesnar was my favorite wrestler.
Satish and his mother enter the school and go straight towards the staff room where all the teachers used to have lunch, I could not control myself and after packing my lunch, I started walking towards the staff room with Satish. Many children of our class were at the back, then me, Satish at second place and Satish's mother roaring at the first place. All of us children stood at the gate of the staff room and as soon as Satish's mother entered the staff room, she chokeslammed the Hindi teacher.
Before the other teachers could say anything, Satish shouted, “He is a Hindi teacher.” On hearing this, Satish's mother threw a spinebuster on the mathematics teacher sitting 3 chairs away from his chair. Seeing this scene, all of us children started laughing loudly and started telling Satish that your mother is fighting like an Undertaker.
Satish had lost his temper by now because his mother was knocking out the school teachers. Satish runs to the drawing teacher and shouts, “This is the fat teacher who hit me.” Satish's mother moves towards the drawing teacher and holds his hand and punches him in the stomach and wins the Royal Rumble title with the finishing move. Seeing them winning and the teachers losing, all the children start laughing loudly and clapping. By now the principal also arrives and the library teacher calms down Satish's mother but Satish's mother goes to the school with a warning that "if anyone hits my son, no one will be worse than me."
This school memory tops the rank of my memories. Even today I laugh when I remember that day and yes now my favorite wrestler is Undertaker.
Hindi:
मैं बचपन से एक बहुत शरारती बच्चा रहा हूँ, पर अब मैं एकदम अच्छा बच्चा बन चूका हूँ. मेरी शरारतों की गिनती करें तो उँगलियाँ कम पड़ जाएँगी और मेरी शरारतें ही मेरी बेस्ट मेमोरी बन गयी हैं जिन्हें याद करके मैं आज भी बहुत खुश होता हूँ.
सांप, मेंढ़क, छिपकली, कोकरोच, गिरगिट को पकड़कर लोगों को डराना, 7 साल की उम्र में एक छोटे से थर्माकोल के टुकड़े को कच्छे में बांधकर गहरे और बहुत बड़े बाँध को तैरकर पार करना, अपने दादा की बीड़ी चुराकर पीना, रसोई से खाद्य सामग्री लेकर जंगल चले जाना जहाँ जाकर खाना बनाना, 13 साल की उम्र में अकेले वैष्णो देवी चले जाना. और भी शरारतें करी हैं लेकिन यहाँ बताई नहीं जा सकती क्योंकि वो बहुत खतरनाक थी. मैं बहुत सारी यादों में से एक याद लेके आया हूँ...चलो करते हैं उसे याद;
मेरा दाखिला दिल्ली में हुए अभी एक साल ही हुआ था कि मुझे यह स्कूल बहुत ख़राब लगने लगा. कारण स्पष्ट था कि मेरा मन पढाई में लग नहीं रहा था क्योंकि टीचर पढ़ाते कम और पीटते ज्यादा थे. एक दिन हमारी क्लास के एक लडके को ड्राइंग के टीचर ने इसलिए थप्पड़ मार दिया क्योंकि वह होमवर्क में सेब की जगह आम बना लाया था.
जब थप्पड़ लगा तब तो हमें बहुत मजा आया और सारी क्लास खूब हंसी लेकिन टीचर के जाने के बाद सतीश बुरी तरह रोने लगा क्योंकि उसके गालों पर भारी भरकम शरीर वाले टीचर की उंगलियाँ छप गयी थी. लास्ट पीरियड तक हम यह बात भूल गये और अपने-अपने घर चले गये.
अगले दिन सतीश नहीं आया, हमें लगा कि बेज्जती के कारण नहीं आया. लंच की बेल बजने पर हम अपने-अपने घर से लाये लंचबोक्स खाने लगे कि तभी गेट पर देखते हैं एक औरत बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही है और गाली दे रही जिसने सतीश का हाथ थाम रखा है. अब हम समझ गये कि सतीश की माँ आ चुकी है और कुछ action शुरू होने वाला है, उस समय ब्रोक लेसनर मेरा फेवरेट रेसलर था.
सतीश और उसकी माँ स्कूल में प्रवेश करते हैं और सीधा स्टाफ रूम की तरफ बढ़ते हैं, मुझसे रहा नहीं गया और लंच पैक करके मैं सतीश के साथ स्टाफ रूम की तरफ चलने लगा. सबसे पीछे हमारी क्लास के बहुत सारे बच्चे, फिर मैं, दूसरे नम्बर पर सतीश और सबसे पहले नम्बर पर दहाड़ती हुई सतीश की माँ. हम सभी बच्चे स्टाफ रूम के गेट पर खड़े हो गये और सतीश की माँ ने स्टाफ रूम में घुसते ही हिंदी वाले टीचर को चोक्स्लैम मार दिया.
दूसरे टीचर कुछ बोल पाते इससे पहले सतीश ने चिल्लाकर बोला कि “वो हिंदी के टीचर हैं”, यह सुनते ही सतीश की माँ ने 3 कुर्सी दूर बैठे गणित के टीचर को कुर्सी से नीचे गिराकर स्पाइनबस्टर मार दिया. हम सभी बच्चे यह सीन देखकर जोर-जोर से हंसने लगे और सतीश को बोलने लगे कि तेरी माँ तो अंडरटेकर की तरह फाइट कर रही है.
सतीश अब तक अपना आपा खो बैठा था क्योंकि उसकी माँ स्कूल के टीचर्स को नोकआउट करती जा रही थी. सतीश दौड़कर ड्राइंग के टीचर के पास जाकर चिल्लाता है “ये हैं वो मोटे टीचर जिन्होंने मुझे मारा था”. सतीश की माँ ड्राइंग की टीचर की तरफ बढती है और उसका हाथ पकडकर उनके पेट में एक घुसा मारती हैं और फिनिशिंग मूव के साथ रॉयल रम्बल का ख़िताब अपने नाम कर लेती है. उन्हें जीतते हुए और टीचर्स को हारते देखकर सभी बच्चे जोर-जोर से हंसने लगते हैं और तालियाँ बजाने लगते हैं. अब तक प्रिंसिपल भी आ जाता है और सतीश की माँ को लिब्रेरी वाली टीचर शांत करवा देती है लेकिन सतीश की माँ स्कूल में चेतावनी देकर जाती है कि “यदि किसी ने भी मेरे बेटे को मारा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा”.
यह स्कूल मेमोरी मेरी यादों की रैंक में सबसे ऊपर है. मैं आज भी उस दिन को याद करता हूँ तो हंस जाता हूँ और हाँ अब मेरा फेवरेट रेसलर अंडरटेकर है.
Disclaimer: This post is originally written in Hindi and I have used Google Translator to tranlate the Hindi text in English.